जन-सम्पर्क गीत
जन –जन से सम्पर्क बनाने वाले हम ।
आशाओं की किरण जगाने वाले हम ॥
नगर-नगर ये ग्राम और ये गलियारे
भरने इनमें नवजीवन के उजियारे
हम दुहराते फिर-फिर अपनी यही कसम ।
हमें हटाना घर –घर से अँधियारा है
हमें तोड़नी पाखण्डों की कारा है
सच को कहने वाली चलती रहे कलम ।
कदम मिलाकर नर-नारी सब ओर बढें
ज्ञान और विज्ञान नए सोपान चढ़ें
देना है सन्देश यही हमको हरदम ।
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डा0 मनोहर प्रभाकर